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पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/१२४

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( ९८ ) कर डाले थे, पर फिर भी अपना कोई स्मारक पीछे नहीं छोड़ा था । वे केवल अपनी कृतियाँ छोड़ गए और स्वयं अपने आपको उन्होंने मिटा दिया। ६४२. दस अश्वमेध यज्ञ करनेवाले नागों ने-यदि आजकल शब्दों में कहा जाय तो नाग सम्राटों ने उन प्रजातंत्रों का रक्षण और वर्धन किया था जो समस्त नाग और मालव पूर्वी और पश्चिमी मालव में और संभवतः गुजरात, आभीर. सारे राजपूताने, यौधेय और मालव और कदाचित पूर्वी पंजाब के एक अंश मद में फैले हुए थे; और ये समस्त प्रदेश गंगा की तराई के पश्चिम में एक ही संबद्ध और विस्तृत क्षेत्र में थे। इसके उपरांत वाकाटकों के समय में जब समुद्रगुप्त ने रंगमंच में प्रवेश किया था, तब ये सब प्रजातंत्र अवश्य ही स्वतंत्र थे। जान पड़ता है कि मालव प्रजातंत्रों की स्थापना ऐसे लोगों और वर्गों ने की थी जो नागों के सगे संबंधी ही थे। जैसा कि एरन के प्रजातंत्री सिक्कों से सूचित होता है, विदिशा के आस-पास के निवासी बहुत आरंभिक काल से ही नागों के उपासक थे । स्वयं एरन या ऐरिकिण नगर का नाम ही और कहीं नहीं मिलता। पौराणिक दृष्टि से गंगा और यमुना के साथ नाग का कोई संबंध नहीं है। नदी संबंधी भावना का संबंध भार- शिवों के समय से है । देखो ($३०), और इस मूर्ति के साथ जो नाग रखा गया है, उससे हमारे इस विचार का प्रबल समर्थन होता है । नाग गंगा और नाग यमुना उस नाग सीमा की दोनों नदियों की सूचक हैं जिसे उन लोगों ने स्वतंत्र किया था । नदी संबंधी भावनाओं का जान-बूझकर जो राजनीतिक महत्त्व रखा गया था उसके संबंध में मिलायो ६८दै।