पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/१२६

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(१०) विषय में अधिक सूक्ष्म विचार किया जाय तो बहुत संभव है कि यह पता चल जाय कि उनके इन सिक्कों का नाग सिक्कों के साथ संबंध था; और यह भी पता चल जाय कि उन पर के चिह्न या अंक एक ही प्रकार के थे अथवा वे सब नागों के अधीन थे। मालव प्रजातंत्री सिक्कों का पद्मावती के सिक्कों के साथ जो संबंध है, उसका पता पहले ही चल चुका है और सब लोगों के ध्यान में आ चुका है। डा० विंसेंट स्मिथ कहते हैं कि उन नाग सिकों का परवर्ती मालव सिक्कों के साथ घनिष्ठ संबंध है। कुछ अंतर के उपरांत मालव सिक्के फिर ठीक उसी समय बनने लगे थे, अर्थात लगभग दूसरी शताब्दी ईसवी में बनने लगे थे जिस समय पद्मावती के नाग सिक्के बने थे। यौधेय सिक्के भी फिर से ईसवी दूसरी शताब्दी में ही बनने प्रारंभ हुए थे और कुणिंद सिक्कों का बनना तीसरी शताब्दी में प्रारंभ हुआ था; और जान पड़ता है कि इसका कारण यही है कि कुणिंद लोग सबके अंत में स्वतंत्र हुए थे। यही बात दूसरे शब्दों में इस प्रकार कही जा सकती है कि १. भार-शिवों के सिक्कों में वृक्ष का जो अद्भुत चिह्न मिलता है और उस वृक्ष के पास-पास जो और चिह्न बने रहते है (देखो ६ २६ क-२६) वे उस समय के और भी अनेक प्रजातंत्री सिक्कों पर पाए जाते हैं। २. C. I. M. पृ० १६४ । ३. रैप्सन I. C. पृ० १२, १३ मिलायो C. I. M. पृ० १७६-७७ । ४. C. I. M. पृ० १६५ । ५. रैप्सन I. C. पृ० १२ ।