पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/२५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( २३०) में ही साकेत का नाम आया है। विष्णुपुराण में गुप्त का बहुवचन रूप "गुप्ताश्च" आया है और इसका विशेषण मागधा दिया है, जिससे उसका आशय यही है कि यह उस समय की बात है जब कि गुप्त लोग मगध से अधिकारच्युत कर दिए गए थे। अर्थात यह समुद्रगुप्त का साम्राज्य स्थापित होने से कुछ वर्ष पहले की बात है। ६१२३. इसके विपरीत दूसरे पुराणों में गुप्त-कुल के संबंध में कुछ और ही प्रकार के तथ्य मिलते हैं। गुप्त-साम्राज्य के संबंध वायु-पुराण और ब्रह्मांड पुराण में कहा में पुराणों का मत गया है कि गुप्त वंशवाले (गुप्तवंशजाः) अर्थात् इस वंश के संस्थापक के उपरांत होनेवाले गुप्त लोग राज्य करेंगे ( भोक्ष्यन्ते) (क) अनु-गंगा-प्रयाग', साकेत और मगधों के प्रांतों में। (ख) शासन करेंगे ( भोक्ष्यन्ते) अथवा पर शासन करेंगे ( भोक्ष्यन्ति ) नैषधों, यदुकों, शैशितों और कालतोयकों के मणि- धान्य प्रांतों पर। १. अथवा अनु-गंगा और प्रयाग ( अनुगंगा प्रयाग च Puran Text पृ० ५३, पाद-टिप्पणी ५ )। २. अनुगंगं प्रयागं च साकेतं मगर्धास्तथा । एतान् जनपदान् सर्वान् भोक्ष्यन्ते गुसवंशजाः ॥ ३. नैषधान् यदुकादचैव शैशितान् कालतोयकान् । एतान् जनपदान् सर्वान् भोक्ष्यन्ते (वायु. के अनुसार भोक्ष्यन्ति) मणिधान्यजान् ।। ( ब्रह्मांड.)