पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३५०

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बाहुबल चाटमूल (अथवा चाटमूल द्वितीय) के राज्यारोहण के ग्यारहवें वर्ष का है। इन शिलालेखों और जम्गय्यपेट वाले शिलालेखों के मिलान से नीचे लिखा वंश-वृक्ष तैयार होता है 1 हम्मसिरिणिका 1 चातिसिरि = महातलवर' पूकिय का कन्दसिरि महाराज वासिठीपुत इखाकु सिरि चाटमूल (एपि० इं० २०-१८) ( ३२२ ) अडवि चाटसिरि = महातलवर १. जान पड़ता है कि तलवर का संबंध उस तरवाड़ शब्द से है जो अदालतों के मुकदमों की रिपोर्टों ( Law Reports) में तरवाड़ के रूप में मिलता है और जिसका अर्थ है-ऐसा राज्य जो किसी दूसरे को दिया जा सकता हो । महातलवर का मतलब होगा-बड़ा राजा या बहुत बड़ा जागीरदार। २. इसका विवाह धनकस के महादंडनायक खंड = विशाखांफ से हुअा था ।