पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/८५

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( ५६ ) प्रांत में ही नहीं था, बल्कि पूर्वी और पश्चिमी बिहार में भी था, क्योंकि वायु तथा ब्रह्मांड पुराण की सभी प्रतियों में कहा गया है कि उनकी राजधानी मथुरा में भी थी और चंपा' (चंपावती- भागलपुर ) में भी। जैसा कि हम आगे चलकर तीसरे भाग में बतलावेंगे, गुप्तों ने चंपा में अपना एक अलग राज्य स्थापित किया था और पुराणों में जहाँ गुप्त साम्राज्य-प्रणाली का वर्णन किया गया है, वहाँ इस बात का विशेप रूप से उल्लेख किया गया है । वहाँ भार-शिव वाकाटक राज्य को हटाकर गुप्त सम्राट अपना राज्य स्थापित कर रहा था। १. चंपा नाम की केवल ही नगरियाँ थीं-एक तो अंग में जो अाजकल चंपानगर कहलाता है और जो भागलपुर से प्रायः पाँच मील की दूरी पर है। यह एक पुराना कस्बा था जिसमें वासुपूज्य के जैन मंदिर थे। इस वासुपूज्य का जन्म और मृत्यु चंपा में ही हुई थी । और दूसरा अाज-कल की चंबा पहाड़ियों में एक कस्बा था । २. वाकाटक साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य के संबंध में पुराणों में बहुत अधिक बातें आई हैं । जान पड़ता है कि उस समय की घटनाओं श्रादि का काल-क्रम से जो लेखा तैयार हुआ था, वह वाकाटक देश में और वाकाटक राजकर्मचारियों द्वारा हुअा था; क्योंकि वहीं और उन्हीं लोगों को दोनों के संबंध की सभी बातें ब्योरेवार और सहज में मिल सकती थीं । पुराणों में आंध्रों के करद राज्यों का उल्लेख करके ( देखो श्रागे चौथा भाग) अांधों की साम्राज्य-प्रणाली का भी कुछ वर्णन करने का प्रयत्न किया गया है, पर वह वर्णन ·उतना विवरणा. त्मक नहीं है । किंतु वाकाटकों का इतिहास देते समय पुराणों ने उनके प्रारंभिक इतिहास तक का उल्लेख किया है और यह बतलाया है कि नागों का साम्राज्य किस प्रकार वाकाटकों के साम्राज्य से सम्मिलित हो