पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/१११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मा दूसरा। पर जाते हैं, क्या इसी को शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष कहते हैं ? देवी फमी सुमने इस पर विचार किया है ? वासपी-"नाथ ! हम सो विश्वास है कि नीला पर्दा इमफा रहस्य छिपाये है, जितना चाहता है उतना ही प्रकट करता है। कभी तारों को विस्खेरता है फभी निशाकर फो छाती पर लेकर खेला करता है और कभी कृष्णा कुटू के साथ ग्रीडा करता है।" बिम्ब०-"और, कोमल पत्तियों को, जो अपनी साली पर निरीह लटका करती हैं, प्रमजन क्यों झिमोड़ता है ?" वामपी-"उसकी गति है, यह किसी को कहता नही है कि तुम मेरे मार्ग में महो, जो साहस फरसा है उसे हिलना पड़ता है। नाय । ममय भी इसी सरह चला आ रहा है उसके लिये पहाड़ और पत्ची परावर है।" विम्ब०-"फिर उसकी गति वो वगषर नहीं है। ऐसा क्यों ?" पासषी-" यही मममाने के लिये पदे २ दार्शनिकों ने कई तरह की व्याम्यायें की है किन्तु फिर भी प्रत्येक निययों में अपवाद लगा दिया है। यह नहीं कहा जा सकता कि वह अपवाद निपम पर है या नियामक पर । मम्भवत उसे ही लोग मरर कहते हैं। । पिम्बसार-“य तो देवी, प्रत्येक सम्मानित घटना के मूल में यही क्वटर है। सच तो यह है कि विश्वभर में (भाल रपान पर पात्या चाक है, जन में उसे मैंबर कहते हैं स्थल पर उसे पपडर