पृष्ठ:अणिमा.djvu/७१

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केतकी, कनेर, कुन्द,
चम्पा लगे हुए हैं—
पूजा के उपचार,
ऋतु-ऋतु में खिलते हुए।
अमरूद, जामुन, अनार, लीची, फालसे,
कटहल लगे हुए।
कोनों में बाँसों के झाड़, कहीं कहीं इमली,
इङ्गु दी, कपास, नीम,
मध्यवित्त गृहियों के वासगृहों के पीछे।
सामने है पूजागृह—
भिन्न वासगृह से,
स्वच्छ स्निग्ध गन्ध से मोदित करता हुआ।
ब्राह्मण का शोभन गृह।
अन्य ओर धान का गोला, पुष्करिणी कल
एक और, बीचों बीच, और स्वच्छ जलवाली,
हल्की-सजी हुई ; बँधा हुआ घाट सुघर।
यहाँ लगे हैं गुलाब, नारियल वैसे ही,
नहीं बाँस या इमली।