पृष्ठ:अणिमा.djvu/८६

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पहुँचे भक्त़ के यहाँ,
देखा हल जोत कर आया वह दुपहर को;
दरवाज़े पहुँचकर रामजी का नाम लिया;
स्नान-भोजन करके
फिर चला गया काम पर।
शाम को आया दरवाज़े, फिर नाम लिया
प्रातःकाल चलते समय
एक बार फिर उसने
मधुर नाम स्मरण किया।
बस केवल तीन बार;
नारद चकरा गये।—
दिवारात्र जपते हैं नाम ऋषि-मुनिलोग
किन्तु भगवान को किसान ही यह याद आया।
गये वह विष्णुलोक,
बोले भगवान से,
देखा किसान को,
दिन भर में तीन बार
नाम उसने लिया है।'