पृष्ठ:अणिमा.djvu/९३

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ऊँची ऊँची रेलिङ्ग और बड़े बड़े दरवाज़े
दुहरे; एक, शीशे का; भवन विशालकाय;
मन्द पवन बहता हुआ;
रातरानी की सुगन्ध पाती हुई भीनी भीनी ।
सन्तरी ने चीफ़ मैनेजर को सलाम किया
और विनय से कहा,
"महाराज का है हुक्म,
आप ही अकेले इस मार्ग से जा सकते हैं;
दूसरों के लिए जब तक
कोई हुक्म नहीं होगा,
छोड़ नहीं सकता मैं।
दृसरों के लिए मार्ग उधर से है जाने का।"
अब तक वह ब्राह्मण
जो भोज में गरमाये थे,
वाहर आये, कहा,
"महाराज उतर आये हैं,
इतना सम्मान परमहंस देवजी के लिए
उनके हृदय में है,