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लेकिन अपमानकारी इन स्वामीजी के लिए
जो कि उस आश्रम के
एक कायस्थ हैं,
उचित व्यवस्था वह मन्दिर में करेंगे
दर्शन दिलाते समय।"
एक साधारण कर्मचारी की बात सुनकर
मैनेजर साहव सन्नाटे में आ गये,
कहा, "यह आये हैं
इतना ही बहुत है,
और तुम्हें कौन समझायेगा यह कौन हैं,
कौन हैं विवेकानन्द।"
सम्वाददाता ने कहा,
"महाराज का कहना जैसा था, मैंने किया,
आप जैसा कहेंगे,
चल कर उनसे कहूँगा;
फिर उत्तर ला दूँगा।
खड़े रहिए ज़रा देर,
क्योंकि वह खड़े हैं।"