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पुराणों की प्राचीनता
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चल कर, १९० वें अध्याय में, युधिष्ठिर मार्कण्डेय से पूछते है कि कलियुग में क्या होगा? वे इस प्रश्न को पहले भी पूछ चुके हैं और मार्कण्डेय पूरा पूरा उत्तर भी दे चुके हैं। परन्तु वे उसे फिर पूछते है और मार्कण्डेय फिर अपने पूर्व उत्तर को दोहराते है। १९१ वें अध्याय मे भी वही बातें कही गई हैं जो १९० वें में है। इसी अध्याय में यह श्लोक है-

एतत्ते सर्वमाख्यातमतीतातानागतं मया।
वायु प्रोक्तमनुस्मृत्य पुराणां ऋषिसंस्तुतम्॥

कदाचित् यह संकेत यजुर्वेद के किसी पुराण की ओर हो। परन्तु महाभारत मे अन्य सब पुराण सम्मिलित है और वह पञ्चम वेद कहलाता है। उसमें किसी पुराण का प्रमाण न होना चाहिए। इसी अध्याय में वायुपुराण की भी कुछ बातें उद्धृत हैं, जिनसे मालूम होता है कि किसी ने बहुत पीछे, अपने समय का दिग्दर्शन कराने के लिए, इस ग्रन्थ मे कुछ अध्याय बढ़ा दिये हैं। ४९ वें श्लोक मे वायु-पुराण का प्रमाण देते हुए कहा गया है कि भविष्यत् मे लड़कियां पांच छः वर्ष की उम्र ही में गर्भवती हुआ करेंगी। परन्तु वायुपुराण के ५८ वें अध्याय के ५८ वें श्लोक मे लिखा है कि कलियुग मे लड़कियां सोलह वर्ष की उम्र के पूर्व ही गर्भवती हुआ करेंगी। उक्त श्लोक दो प्रकार से लिखा जाना है। उसके दोनो रूप ये हैं-

प्रणष्टचेतनाः पुंसो मुक्तकेशास्तु चूलिकाः।
ऊनषोडशवर्षाच्च प्रजायन्ते युगक्षये॥