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पुराणों की प्राचीनता
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भी हो सकता है। जब मगध के राजों के हाथ मे भारत का साम्राज्य आया तब ब्राह्मणों के अतिरिक्त अन्य जातियों ने भी पुराणेतिहास सुनाने का काम अपने हाथ में ले लिया। इसी कारण सूतो की प्रतिष्ठा उतनी न रही जितनी पूर्ववर्ती सूतो की थी। इस समय तो ब्राह्मण ही पुराणपाठी हो रहे है।

[अगस्त १९१२