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सोम-याग
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जाकर पुरोहितों को दक्षिणा देता था। अग्निष्टोमयज्ञ के दक्षिणविभाग में क्रम से १२०० गायें[१] और सोना, वस्त्र, अश्व, अश्वतर, गधा, भेड़, बकरा, अन्न और उड़द देने की विधि थी।
जिन पुरोहित को जिस प्रकार दक्षिणा देने की विधि थी वह नीचे लिखी जाती है—
- ब्रह्मा को १२ गायें और कुछ सोना इत्यादि।
- उद्गाता को „ „
- होता को „ „
- अध्वर्यु को „ „
- ब्राह्मणशंसी को ९ गायें और कुछ सोना इत्यादि
- प्रस्तोता को „ „
- प्रतिप्रस्थाता को „ „
- पोता को ६ गायें और कुछ सोना इत्यादि
- प्रतिहर्त्ता को „ „
- अच्छावक को „ „
- अग्नीध्र को ३ गायें और सोना इत्यादि
- सुब्रह्मण्य को „ „
- ग्रावस्तुत को „ „
- उन्नेता को „ „
- ↑ न हो तो १०० गायें। वे भी न हों तो उनके मूल्य देने को विधि भी है।