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अतीत-स्मृति
 


पर पूर्वोक्त देश का नाम फुसाँग देश रक्खा था मेक्सिकोवाले आज कल फुसाँग वृक्ष को आगेबी कहते हैं। उपर्युक्त चीनी ग्रन्थ में फुसाँग वृक्ष का जो वर्णन लिखा है वह आगेवी से बिलकुल मिलता है। इसलिए यह स्पष्ट है कि फुसाँग देश और मेक्सिको देश एक ही हैं और काबुली बौद्धों ने वहाँ जाकर बुद्ध धर्म का अवश्य प्रचार किया था। कहते हैं कि फुसाँग वृक्ष की छाल में एक प्रकार का जन्तु होता है। वह रेशम की तरह होता है। हुईशेन ने अन्यान्य बहुमूल्य वस्तुओं के साथ उसे भी चीन सम्राट को भेंट किया था। हुईशेन ने एक जगह कहा है कि फुसांग प्रदेश में चाँदी, सोना, लोहा, ताँबा बहुत होता है। कोलम्बस ने भी इस बात को प्रत्यक्ष देखा था। वह तो अपने साथ बहुत सा सोना-चाँदी स्पेन को लाया भी था।

फुसाँग देश और मेक्सिको एक ही हैं। इसका एक और भी प्रमाण सुनिए। मेक्सिकोवाले कहते है कि प्राचीन काल में एक श्वेतकाय दीर्घपरिच्छदधारी महापुरुष मेक्सिको में आया था। वह लोगों को नीति और धर्म की शिक्षा दिया करता था। उसका नाम हुई-शीयेकोको था। मालूम होता है कि यह नाम हुईशेन भिक्षु का अपभ्रंश है। मेक्सिको के एक और महापुरुष के सम्बन्ध मे भी ऐसी ही किंवदन्ती है। इन लोगों की शिक्षा और धर्म-प्रचार का जैसा वर्णन पाया जाता है उससे मालूम होता है कि ये लोग बौद्ध थे।

काबुल, चीन और जापान के बौद्ध संन्यासी देश-देशान्तरों