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१५-प्राचीन भारत में युद्ध-व्यवस्था

प्राचीन समय से लेकर आज तक भारत में युद्ध ने अनेक प्रकार के दृश्य दिखाये हैं। प्राचीन भारत के जातीय जीवन में युद्ध एक मामूली बात थी। पहले भारत में आते ही। आर्यजाति को अनेक युद्ध करने पड़े। उन्हें यहाँ के प्राचीन निवासियों के साथ तो लड़ना ही पड़ा, पर परस्पर भी उनमे खूब युद्ध होता था। ऋग्वेद में वसिष्ठ और विश्वामित्र के युद्ध का वर्णन इस बात का प्रमाण है। आर्य-जाति ने युद्धो ही मे परास्त करके यहाँ के प्राचीन निवासियों को अपना दास बनाया। दास के जो कार्य निर्दिष्ट हैं वे इन लोगो के ऊपर हमारी जीत की इस समय भी गवाही दे रहे हैं। आर्यों को, राक्षस और दानव कहे जाने वाले बाहरी शत्रुओं से भी खूब लड़ना पड़ा! उन्होंने इन लोगों के साथ कई बार बड़े-बड़े युद्ध किये। इनका वर्णन वेदों तक में पाया जाता है। राक्षसों के साथ श्रआर्य जाति को निरन्तर युद्ध करना पड़ा। इसीसे उस समय आर्यों को अपना समुदाय तीन भागों में विभक्त करना पड़ा-पहला ब्राह्मण, दूसरा क्षत्रिय नाम से अभिहित हुआ। ब्राह्मणों का कार्य देश में शान्ति स्थापना और क्षत्रियों का अपने देश की रक्षा शत्रुओं से करना निश्चित हुआ।