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अतीत स्मृति
 

भारत में अनेक सम्राद हुए हैं-कोई दुष्टों का नाश करके अपनी भुजा के बल से कोई प्रजापालन करने की सुन्दर विधि से और कोई तपोबल से:-

जित्वा जय्यान् यौवनाश्चिः पालनाच भर्गारथः।
......................................सम्राजत्त्वनुथुश्रुमाः॥

(महाभारत)
 

भारत ने सदैव ही वीरों और योग्य व्यक्तियों को हृदय से अपना राजा माना है और उनका यथेच्छ सम्मान भी किया है। यदि कोई राजमद से उन्मत्त होकर अपने कर्तव्य से विमुख हो गया तो वह मारा गया। बहुत दिन तक वह अपने आसन पर नहीं जम सका। भारत सदैव न्याय का पक्षपाती रहा है।

[दिसम्बर १९११