पृष्ठ:अतीत-स्मृति.pdf/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२
अतीत-स्मृति
 


शय की इस खण्डनात्मक अलोचना पर एक नोट प्रकाशित कराया है। उसमे आपने प्रभू महाशय के कोटि-क्रम का विरोध न करके केवल इतना ही लिखा है कि ईरानियों के विषय मे भी आपने एक लेख लिखा है। यदि वह प्रकाशित हो जाता तो प्रभु महाशय को अपना लेख लिखने का कष्ट न उठाना पड़ता। परन्तु अस्वस्थता के कारण वे अब तक उसे प्रकाशित नहीं कर सके। आप के इस कथन से सूचित होता है कि ईरानियों के विषय में अपना मत प्रकट करके आप अपनी कल्पना का सामञ्जस्य सिद्ध करने के लिए तैयार हैं।

[जनवरी १९१३