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आर्य्यो का आदिम-स्थान
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फल यह हुआ कि वेदों की अधिक प्राचीनता सिद्ध हुई। यहाँ तक कि अमेरिका के वोस्टन-विश्वविद्यालय के सभापति डाक्टर वारन ने एक पुस्तक*[१] लिख कर यह अनुमान किया कि मनुष्य-जाति का आदिम निवास उत्तरी ध्रुव के आस पास था और वही हिन्दू तथा पारसियों का स्वर्ग कहलाता था।

तिलक महोदय ने "ओरायन" में जो कुछ कहा है उसकी अनुवृत्ति एक नये अँगरेजी ग्रंथ में उन्होंने की है। उसका नाम है-Arctic Home in the Vedas अर्थात् उत्तरी ध्रुव में रहने का वेदों में प्रमाण। यह अभी कुछ ही दिन हुए प्रकाशित हुआ है। इसमें जो बातें कही गई हैं उनके कुछ अंश का अनुमोदन डाक्टर वारन ने पहले ही से कर रक्खा था जैसा कि ऊपर कहा गया है। डाक्टर वारन ने यह अनुमान किया था कि आदिम आर्य्य उत्तरी ध्रुव के आस पास रहते थे और वही पीछे से स्वर्ग के नाम से प्रसिद्ध हुआ। परन्तु इस बात को सप्रमाण सिद्ध करने का पुण्य तिलक ही के भाग्य में था। यह पुस्तक तिलक को उद्भट विद्वत्ता और सुतीक्ष्ण बुद्धि का उत्कट प्रमाण है। इसकी पढ़ कर बड़े बड़े विद्वानों†[२] ने ग्रन्थकर्ता की सहस्र मुख से प्रशंसा


  1. * Paradise found on the Cradle of the Human Race as the NorthPole.
  2. † इलाहाबाद के म्युअर सेंट्रल कालेज के प्रधान अध्यापक डाक्टर थीवो तिलक के इस सिद्धान्त को सच्चा नहीं समझते। आपने एक व्याख्यान में ऐसा ही कहा है। परन्तु जब तक डाक्टर साहब इस सिद्धान्त का प्रमाण-पूर्वक खण्डन न करें तब तक उनका कथन स्वीकार नहीं किया जा सकता।