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प्राचीन मिश्र में हिन्दुओं की आबादी
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भी मनु को मनिस, मनस, मनः, मन, मन्नु आदि नामों से अपना व्यवस्थापक माना है। मिश्रवाले कहते है कि मनु को हुए कोई ८६८४ वर्ष बीते। रोम और ग्रीस वाले भी अपने एक देवता को इतने ही साल का पुराना मानते है। डियोडोरस और जस्टिन आदि इतिहासकारों का कथन है कि यह देवता भारतवर्ष का है।

भारत और मिश्र के प्राचीन सम्बन्ध के अनेक प्रमाण पाये जाते हैं। मिस्र की एक प्राचीन जाति का नाम "दानव" है। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि "दानव" शब्द पुराणों में सैकड़ों जगह पाया है। सत्ताईस सौ वर्ष पुराने काल्डिया के शिला लेखों से मालूम होता है कि भारत का व्यापार फारस की खाड़ी में खूब होता है। जिनाफन अपने ग्रन्थ में लिखता है कि ईसा के ६०० वर्ष पहले भारत का एलची, सीज़र बादशाह के दरबार में, गया था। उसके बाद भारत का व्यापार केवल मिश्र ही मे नही, किन्तु कार्थेज और रोम तक फैल गया था।

बड़े बड़े विद्वानों का कथन है कि भारतवर्ष ने साढ़े तीन हजार वर्ष पहले ज्योतिष मे खूब उन्नति कर ली थी। मिश्र ने सैकड़ो वर्ष पीछे भारतवासियों ही के द्वारा ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त किया। इस बात को डूपस नामक एक फ्रेंच विद्वान् ने बड़ी अच्छी तरह सिद्ध किया है।

मिश्र की इमारतें और गुफा-मन्दिर सब हिन्दोस्तानी ढंग के है। यही क्यों, एक साहब की तो राय है कि आयरलैंड के बुर्ज भी हिन्दोस्तानी काट-छाँट के हैं।