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बाली-द्वीप में हिन्दुओं का राज्य
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शोभा-सम्पन्न स्थानो से टक्कर ले सकते हैं। बाली को बनावट बड़ी विचित्र है। वह बीच मे तो खूब ऊँचा है, पर चारों ओर ढालू होता चला गया है। कहते हैं कि इन दोनो द्वीपों के चारों तरफ का समुद्र सदा तरङ्गसङ्कुल रहता है। वहाँ अकसर तूफान आया करते हैं। इसलिए जहाज़ के द्वारा इन टापुओ में जाना बड़ा विपज्जनक है।

बाली और लम्बक-द्वीप के आदिम निवासियों को शशक कहते हैं। उनको परास्त करके हिन्दुओ ने वहाँ अपना राज्य स्थापित किया। सुनते हैं कि लम्बक-द्वीप के कुछ शशक इस समय मुसलमान हो गये है। परन्तु वहाँ के अधिकांश निवासी हिन्दू ही है और उन्हीं का राज्य इन द्वीपों में है। हिन्दू-लोग शशक मुसलमानो पर किसी प्रकार का अत्याचार नही करते; किन्तु उन लोगों से अच्छी तरह मिलते जुलते है। वहाँ का राज्य यद्यपि राजतन्त्र है, तथापि सर्व-साधारण जन राज-शासन से अप्रसन्न नहीं है। हाँ, इसमे सन्देह नहीं कि किसी किसी अपराध का दण्ड बड़ा हो कठोर है। इन राज्यो मे चोरो को अब भी प्राणदण्ड दिया जाता है। व्यभिचारी (स्त्री पुरुप दोनों ही) बाँधकर समुद्र में फेंक दिये जाते है। सतीत्व-धर्म का इतना अधिक सम्मान किया जाता है कि पता लगते ही असती स्त्रियाँ तुरन्त मार डाली जाती है। एक बार किसी व्यभिचारिणी स्त्री को एक यूरोपियन सौदागर ने अपने यहाँ रख लिया। खबर लगते ही राजा का दूत साहब के घर पहुँचा। साहब और कुलटा एक