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राजा युधिष्ठिर का समय
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जाती है। उस पर ध्यान न देना ही अच्छा होता है। यह हम किसी को लक्ष्य करके नहीं लिखते। तर्कना का साधारण नियम समझ कर हमने यहाँ पर उसे लिख दिया है।

सरस्वती में गत वर्ष वराह-मिहिर पर एक लेख निकला। उस में लेखक ने एक प्रमाण देकर यह साबित किया कि महाभारत हुए ११,००० वर्ष हुए। इसके बाद मदरास की तरफ के एक वकील साहिब का एक लेख हमने पढ़ा। उसमे लेखक ने यह सिद्धान्त निकाला था कि युधिष्ठिर को हुए सिर्फ ३००० वर्ष हुए। उन्ही के नाम का उल्लेख करके यह भी हमने लिख दिया। अपनी तरफ से हमने कुछ भी नहीं लिखा। यह पिछला मत पं॰ गणपति जानकी राम दुबे को गलत मालूम हुआ। इस पर उन्होंने एक और सज्जन के मत के आधार पर एक छोटा सा लेख सरस्वती मे छपने के लिए भेजा। उसे भी हमने छाप दिया। उसके अनुसार वर्तमान समय से ७१३१ वर्ष पहले युधिष्ठिर विद्यमान थे। यह मत खुद दुबे जी का नही। किन्तु एक दूसरे पंडित का है। इस पर हमने कहा कि दुबे जी यदि वकील साहब के मत का सप्रमाण खण्डन करके इस नये मत के सच होने पर जोर देते तो उसका अधिक गौरव होता। साथ ही हम ने यह भी दिखलाया कि उनके लिखे‌ हुए मत की पुष्टि के लिए भी बहुत सी बातो का उत्तर देना बाकी है। यह हमने इसलिए लिखा कि दुबे जी विद्वान हैं और वाद-विवाद करने के नियमों को जानते है। इसलिए वे हमारे कहने को बुरा न समझेंगे।