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अतीत-स्मृति

१-'आर्य्य' शब्द की व्युत्पत्ति

सभ्यता की उत्पत्ति क्रम क्रम से होती है, एक दम नहीं। मनुष्य सभ्यता को साथ लेकर पैदा नहीं होता। हमारे आदिम पूर्वज फल, मूल खा कर जीवन-यात्रा निर्वाह करते थे। उसके बाद मृगया-युग का आरम्भ हुआ। उस युग में मृगया-लब्ध मांस ही सब लोगों का प्रधान खाद्य था। उसके अनन्तर पशुपालन-युग लगा और पशुओं के दूध और मांस ही से उदर-पूर्ति होने लगी। सभ्यता के तीन युग इस तरह बीते। जब जन-संख्या बहुत बढ़ गई और फल, मूल, दूध और मांस से निर्वाह होना असम्भव हो गया तब सभ्यता के चौथे युग में कृषि अर्थात् खेती की उद्भावना हुई।

कृषि और कृषक को निरादर की दृष्टि से देखना मूर्खता है। इस देश में कृषि का किसी समय बड़ा आदर था। "उत्तम खेती" की कहावत इस बात का प्रमाण है। अब भी समझदार आदमी खेती को आदर की दृष्टि से देखते हैं। योरप और अमेरिका में कृषि-विद्या और कृषक का बड़ा आदर है। इन देशो में कृषि की बहुत उन्नति हुई है। मनुष्यों के प्राण अन्न ही पर अवलम्बित हैं।