पृष्ठ:अतीत-स्मृति.pdf/९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९०
अतीत-स्मृति
 


पुराण का अध्ययन बड़ी श्रद्धा और रुचि से करते थे। छान्दोग्य-उपनिषद में लिखा है-

ऋग्वेदोयजुर्वेदः सामवेद अथर्वणश्चतुर्थ-
इतिहास-पुराणः पञ्चमो वेदानां वेदः।

इसके अनुसार अथर्व-वेद चौथा वेद और इतिहास-पुराण पाँचवा है। भारतीय युद्ध के बाद इतिहास-पुराण के कुरु-पाण्डवों की कथा से मिला कर महाभारत पञ्चम वेद के नाम से विख्यात हुआ है।

आधुनिक पुराणों में बहुत से राजवंशों, राजो और देवताओं आदि का वर्णन है। वैदिक पुराणों में भी केवल वेद-मन्त्रों ही का इतिहास न था। महाभारत में, जहां पुराणों का वैदिक श्रुतियों से घनिष्ठ सम्बन्ध बतलाया गया है, इस प्रकार के कितने ही लेख पाये जाते हैं-

(१) "मया श्रुतिमिदं पुराणे पुरुषर्षंभ"।

(२) "अत्राप्युदाहरन्तीममितिहासं पुरातनम्"।

(३) "श्रूयते हि पुराणेऽपि जटिला नाम गौतमी"।

अथर्व-वेद के अन्तिम शूक्तो से भी प्रकट होता है कि पुराणेतिहास में केवल देवताओ ही का इतिहास नहीं; किन्तु मनुष्यों का भी इतिहास रहता था। उसमे जगत् की उत्पत्ति, मनुष्य की उत्पत्ति और मन्वन्तर आदि के वर्णन के साथ ही साथ, आदर्श राजों और बड़े बड़े राजवंशों का भी वर्णन रहता था। पुराणो में जहाँ जहाँ "पुराण" शब्द का प्रयोग हुआ है वहाँ वहाँ इस