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अतीत स्मृति
 


क्या दशा थी। सम्भव है, जिस प्रकार प्रत्येक वेद के ब्राह्मण, अनुक्रमणिकायें, उपनिषद् आदि अलग अलग हैं उसी प्रकार प्रत्येक वेद के मन्त्रों की ऐतिहासिक बातों के सूचक पुराणेतिहास भी अलग अलग रहे हों। वृहद्देवता मे जिन पुराणों का वर्णन है उनका अर्थ वेदों के मन्त्रों से तो सम्बद्ध है, परन्तु अथर्व-वेद के मंत्रों से कोई सम्बन्ध नही। अथर्व-वेद के मन्त्रों का पुराण भी रहा होगा। प्रत्येक वेद के मन्त्रों का पुराण भी अलग अलग रहा होगा-इस सम्भावना का एक कारण है। शतपथ-ब्राह्मण के ग्यारहवे, आत्रेय ब्राह्मण के पाँचवें, और छान्दोग्य-उपनिषद् के चौथे अध्याय में लिखा है कि जब प्रजापति ने वेदो की प्राप्ति के लिए तप किया तब ऋग्वेद की उत्पत्ति अग्नि से, सामवेद की सूर्य्य से और यजुर्वेद की वायु से हुई। वायु, अग्नि और सूर्य्य के नाम पर तीन आधुनिक पुराण भी हैं। इन तीनों पुराणों का पूर्वोक्त तीनो वेदो से सम्बन्ध होने ही के कारण उनके ये नाम पड़े। यही तीन पुराण महाभारत के पहले रहे होंगे। अन्य आधुनिक पुराणों की उत्पत्ति महाभारत के पीछे हुई जान पड़ती है।

महाभारत के वनपर्व के १९१ वें अध्याय में और उसके अन्तिम पर्व के छठे अध्याय में आधुनिक पुराणों का जिक्र जरूर है परन्तु उन स्थलों को विचारपूर्वक पढ़ने से स्पष्ट मालूम होता है कि वे प्रक्षिप्त हैं। वनपर्व के १८८वें अध्याय मे ऐसी घटनाओ का वर्णन है जो महाभारत के समय के बहुत पीछे हुई हैं। आगे