पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१०१

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में कितने दिन सांस ले सकेगा? चाहे जो कुछ भी हो। लोग चाहे मुझसे रूठ जायँ, पर मैं उसे अवश्य प्यार करूँगा। यह मेरी अन्तरात्मा को पवित्र आज्ञा है। यह मेरे हृदय का श्रृंगार है। इसकी स्मृति से मन मे प्राण संजीवन होता है। मैं यह कार्य करूँगा।

वह नीच है, अछूत है, मलिन है, इससे क्या? क्या उसके शरीर में वही आत्मा नहीं है जो हमारे शरीर मे है? उसके जैसे हाड़ मांस क्या हमारे शरीर मे नहीं हैं? वह ईश्वर का पुत्र है। उसके शरीर का प्रत्येक कण ईश्वर के हाथ की निजू कारीगरी है। ईश्वर ने उसे स्वय बनाया है और आज तक पाला है। बिना उसके वातावरण के क्या वह इतना बड़ा होता? यह बात झूठ है? अब न सही, पर कभी तो उसने प्यार पाया होगा? क्या किसी ने कोई ऐसा बच्चा देखा है जिसने मां की छाती से चिपट कर मधुर दूध न पिया हो? क्या किसी ने ऐसा बच्चा देखा है जिसने बाप के लाड़ न देखे हों? और इसने क्या बचपन को पार नहीं किया है? आज उसकी यह दशा हुई। प्यार से गया, सुख से गया, घृणा क्रोध तिरस्कार की बौछार से मरा जा रहा है। क्या प्यार की प्यास इसके मन से बुझ गई होगी? एक बार जिसने मिश्री खाई है, क्या

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