पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१५२

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वह पुष्प

उस पुष्प को तो देखो, सूर्य की किरणों ने उसे छुआ, वह खिल गया। कैसा सुन्दर था पर एक ही घंटे में देखो वह मुरझा कर झुक गया है। अब वह गिर जायगा।

ओह! यह जीवन भी ऐसा ही रहा!!