पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/४४

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चहन करने की अधिकार भगवान् जानते हैं -- मुझसे निरपराध छीन लिया गया है। प्रभु की इच्छा पूर्ण होगी। शरीर से अच्छे रहना।











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