पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/५४

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उसकी ओर फेंक दिये और उससे कहा-जाओ जाओ। पैसे लेकर उसने लड़कों को लुटा दिये और फिर मेरे बच्चे को घूर घूर कर बड़बड़ाने लगा। बच्चा रो उठा मैं भीतर चला आया। मेरे घर तब कोई नौकर न था। उसी रात को बच्चा रोगी हुआ और उसके तीन दिन बाद वह भी ठंडा हो गया। मरती बार वह भी मुस्कराया था।

मैने घर-बार-देश सब त्याग दिया है, पर जिस स्मृति को त्यागना चाहता हूँ उसे किसी तरह नहीं त्याग सकता हूं--किसी तरह नहीं त्याग सकता हूं।






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