पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/६६

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भटक रहा था आज मिला है―आओ! भगवान्! आओ मेरे बाप!आओ मेरे बुजुर्ग! मेरे कुलदेव! वंशोद्धारक! आओ- आओ आओ! मेरी छाती को ठण्डी करो! तुम मे विश्वासघात का विष्ठा लगा होगा तो मैं तुम्हें धोलूँँगा। तुम मे छल का दांग होगा तो रगड़ दूँँगा। किसी तरह आये तो! आओ-आओ- आओ। आओ मेरे इष्टदेव! आओ।










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