पृष्ठ:अपलक.pdf/१०६

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पपलक ३ मेरी वीणा रस-राग-सनी- रोदन-गायन में रार उनी कब रही तुम्हारे बिन ? साजन, बीते हैं इतने दिन, साजन; तुम बिन मम गायन-भीर धनी आश्रो स्वर भीने-मीने-से- उमड़ी बोलो, किस दिन साजन? रस-चश, वीणा के तार बने । आ जाओ, प्रिय, साकार बने । जिला जेल, उन्नाव, दिनाङ्क १८ जनवरी १९४३ इक्यानबे