पृष्ठ:अपलक.pdf/११४

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नयनन नीर भरे अँखियन नीर भरे, राधा नयनन नीर भरे, कई युगों से टेर रही है तुमको 'हरे ! हरे !!' राधिका नयनन नीर भरे। बहा जा रहा उसके हिय का सब नवनीत, अरे, तुम तो विलम रहे हो मधुपुर, यमुना पार, परे; राधिका नयनन नीर भरे। २ तुमने छोड़े ग्वाल गोप अब, कैसे काज सरे ? गोकुल छोड़ चले मथुरा तुम नागर मेस धरे, राधिका नयनन नीर भरे। ३ डूबे कहाँ ? कहाँ उतराये ! किस कुघाट उतरे ? बड़े वीर तुम, कूबड़ से भी रंच न हृदय डरे; राधिका नयनन नीर भरे। सौ