पृष्ठ:अपलक.pdf/११६

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अपलक ६ तुम निर्गुण, निर्दोष, सदा के, हम गुण-दोष भरे, हमें डुबा कर स्नेह-सिन्धु में, बस, तुम खूब तरे । राधिका नयनन नीर भरे। जिला जेल उन्नाव, धुरैहँडी, दिनाङ्क २२ मार्च, १९४३ } एक सौ दो