पृष्ठ:अपलक.pdf/३८

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मेरी प्राण-प्रिये ! ? मेरी प्राण-प्रिये, सुनयने, मेरी प्राण-प्रिये ! बीत गया है एक वर्ष यह तुम्हें प्रयाग किये सुनयने, मेरी प्रारण-प्रिये ! २ कितना गहन व्यथार्णव मेरा, उसकी क्या कहिये ? लहरा रहा अहर्निशि उर में हा-हा कार लिये सुनयने, मेरी प्राण-प्रिये ! ३ स्मरण-गगन में लख तव मुख-शशि किमि धीरजरिये? हहरें क्यों न उदधि ? निज हिय में संयम किमि भरिये ? सुनयने, मेरी प्राण-प्रिये ! नम विहारिणी, अलख प्राण, निज मन की सुधि करिये। हे अतीन्द्रिये, सेन्द्रियता से इतना क्यों डरिये ? सुनयने, मेरी प्राण-प्रिये ! गईस