पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१५०

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अप्सरा १४३ फूट पड़ता था । स्नेह, सहानुभूति और अनेक कल्पनाओं के साथ उसकी कविता सुंदर तरंगों से उसे बहलाकर बह जाती थी। ___ गाड़ी आसनसोल स्टेशन पर खड़ी थी। राजकुमार बिलकुल सामने की सीट पर था । डब्बे के झरोखेखुले हुए थे। गाड़ी को स्टेशन पहुँचे दस मिनट के करीब हो चुका था। कनक का मुंह प्लैटफार्म की तरफ था। बाहर के लोग उसे अच्छी तरह देख सकते थे, और देख रहे थे। प्लैटफार्म की तरफ राजकुमार की पीठ थी। राजकुमार चौंक पड़ा, जब एकाएक गाड़ी का दरवाजा खुल गया । कनक सिंकुड़कर शंकित दृष्टि से आदमी को देख रही थी। घूघट काढ़ना अनभ्यास के कारण उसके शंकित स्वभाव के प्रतिकूल हो गया। ____दरवाजे के शब्द से राजकुमार की चेतना ने आँखें खोल दी। झपटकर उठा । एक परिचित आदमी देख पड़ा । कनक ने तारा और चंदन को जगा दिया। दोनो ने उठकर देखा, एक साहब और राजकुमार, दोनो एक दूसरे को तीव्र स्पर्धा की दृष्टि से देख रहे थे। "तुम शायद मुझे नहीं भूले हैमिल्टन ।" राजकुमार ने अँगरेजी में उपटकर कहा। ___साहब देखते रहे । साहब के साथ एक पुलिस का सिपाही और स्टेशन मास्टर तथा और कुछ लोग स्टेशन के और कुछ परिदर्शक एकत्र थे। __ साहब को बुरी तरह डाँटे जाते देखकर स्टेशन मास्टर ने मदद की इस डब्बे में भगाई हुई औरत है-वह कौन है ?" ___ "है नहीं, हैं कहिए, उत्तर तब मिलेगा। आप कौन हैं, जिन्हें उत्तर देना है ?" राजकुमार ने तेज स्वर से यूछा। ___"मेरी टोपी बतला रही है। स्टेशन मास्टर ने आँखें निकालकर कहा। ___“मैं आपको श्रादमी तब समगा , जब जरूरत के वक्त, आप कहे कि एक रिज़र्व सेकेंड क्लास के यात्री को आपने 'कौन है कहा था।"