पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

अप्सरा लगाया है। अपने ड्राइवर से कहा, इस गाड़ी को दूसरी गाड़ी की बराल करो। ड्राइवर ने वैसा ही किया । चंदन ने राजकुमार से कहा, 'टी पीछे लगा है, टैक्सी एक है, देखें, किसके पीछे लगती है। चंदन और कलकत्ते के विद्यार्थी खुफियावालों को 'टी' कहते हैं। राजकुमार ने एक दफा लापरवाह निगाह से पीछे देखा। सेंट्रल ऐवेन्यू के पास दोनो गाड़ियाँ दो तरफ हो गई। राजकुमार की टैक्सी दक्षिण चली, और चंदन की उत्तर । कुछ दूर चलकर चंदन ने देखा, टैक्सी विना रुके राजकुमार की टैक्सी के पीछे चली गई। चंदन को चिंता हुई। सोचने लगा। बहू ने कहा-"छोटे साहब, वह गाड़ी शायद उधर ही गई ?" "हाँ" चंदन का स्वर गंभीर हो रहा था। "तुम्हारा मकान तो आ गया, इस तरफ है न ?" तारा ने कहा। "हाँ चलो, दीदी, आज हमारे मकान रहो।" ड्राइवर से कनक ने कहा, "बाई तरफ़।" टैक्सी कनक के मकान के सामने खड़ी हो गई। मकान देखकर चंदन के हृदय में कनक के प्रति संभ्रम पैदा हुआ। कनक उतर पड़ी। सब लोग बड़े प्रसन्न हुए। दौड़कर सर्वेश्वरी को खबर दी। कनक ने मीटर देखकर एक आदमी से किराया चुका देने के लिये कहा। चंदन ने कहा, अब घर चलकर किराया चुका दिया जायगा । कनक ने न सुना । तारा का हाथ पकड़कर कहा, दोदी, चलो। तारा ने कहा"अभी नहीं बहन, इसका अर्थ तुम्हें फिर मालूम हो जायगा । फिर कमी रज्जू बाबू का साथ लेकर आया जायगा । तुम्हारा विवाह तो हमे यहीं करना है।" ___ कनक कुछ खिन्न हो गई । अपने ड्राइवर से गाड़ी ले आने के लिये कहा । तारा और चंदन उतरकर अहाते में खड़े हो गए। सर्वेश्वरी उपर से उतर आई । कनक को गले लगाकर चूमा । एक साँस में कनक बहुत कुछ कह गई। सर्वेश्वरी ने तारा को देखा, तारा ने सर्वेश्वरी को. बारा ने मुँह फेरकर चंदन से कहा छोटे साहब, जल्द चलो। तार