पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१६३

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१५६ अप्सरा ____ बनते क्यों हो ? चंदन ने कहा, 'मुझे बड़ा गुस्सा लगता है, अब मियाँ बनकर लोग गाल फुलाने लगते हैं,. वाहियात, दूसरों को जनाते हैं कि मेरे बीवी है। बोवो कहीं पढ़ी-लिखी हुई, तब तो इन्हें बीवी के बोलते हुए विज्ञापन समझो; मियाँ लोग दुनिया के सबसे बड़े जोकर हैं।" ___तारा खड़ी हँस रही थी- आपके भाई साहब ?" "वह सब साहब पर एक ही ट्रेडमार्क है।" "अच्छा-अच्छा, अब आपकी भी खबर ली जाती है।" तारा ने हँसते हुए कहा। "मुझसे कोई पूछता है, तुम ब्याहे हो, गैर-ब्याहे. तो मैं अपने को ब्याहा हुआ बतलाता हूँ।" चंदन ने राजकुमार को फाँसकर अकइते हुए कहा-बदन बहुत टूट रहा है।" __ "सोनोगे तो ठीक हो जायगा । किस तरह ब्याहा हुआ बतलाते हो ?” राजकुमार ने पूछा। ___"किसी ने कहा है, मेरी शादी कानून से हुई है। किसी ने कहा है, मैं कविता कुमारी का भर्ता हूँ; किसी ने कहा है, मेरी प्यारी बोची चिकित्सा है ; मैं कहता हूँ, मेरी हदयेश्वरी, इस जीवन की एक मात्र संगिनी, इस चंदनसिंह की सिंहिनी सरकार है।" तारा मुस्किराकर रह गई। राजकुमार चुपचाप सोचने लगा। महरी पान दे गई । तारा ने सबको पान दिए । पाँच बजे ले आने के लिये एक बार फिर याद दिला भीतर चली गई। दोनो पड़े रहे। (२४) चार का समय हुआ। चंदन उठा । राजकुमार को उठाया। दोनो ने हाथ-मुँह धोकर कुछ जल-पान ! किया। चंदन ने चलने के लिये कहा । राजकुमार तैयार हो गया। तारा ने सास को कल जाने की बात वाक-छल से याद दिला दी। पड़ोस की वृद्धाओं का जिक्र करते हुए पूछा, वह कैसी हैं, उनका लड़का विलायत से लौटनेवाला था, लौटा या नहीं, उनके पोते की शादी