पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/१४२

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१२८ अभिधर्मकोश किन्तु मूल अभिधर्म" कहता है कि १० क्लेशमहाभूमिक हैं किन्तु उसमें स्त्यान पठित नहीं हैं। [१६२] यह १० क्या हैं ? • अश्राद्धय, कौसीद्य, मुषितस्मृतिता, विक्षेप, अविद्या, असंप्रजन्य, अयोनिशोमनस्कार, मिथ्याधिमोक्ष, अर्थात् क्लिष्ट-अधिमोक्ष, औद्धत्य और प्रमाद । आप मूर्ख (देवानां प्रियः) हैं जो पाठ प्रामाण्यमात्र से प्राप्ति को जानते हैं किन्तु आचार्यो की इच्छा को नहीं जानते (प्राप्तिज्ञो नत्विष्टिज्ञः) २ [व्या १३०,२४] । इच्छा क्या है ? अभिधर्मोक्त ५ क्लेशमहाभूमिक धर्म, अर्थात् मुषितस्मृतिता, विक्षप, असंप्रजन्य, अयो- निशोमनस्कार और मिथ्याधिमोक्ष महाभूमिक की सूची में पूर्वनिर्दिष्ट हो चुके हैं। उनको पुनः वलेशमहाभूमिकों में परिगणित करने का स्थान नहीं है । यथा कुशलमूल अमोह यद्यपि कुशलमहा- भूमिक है तथापि कुशलमहाभूमिक रूप में इसका अवधारण नहीं होता क्योंकि प्रशास्वभाव होने से यह महाभूमिक व्यवस्थापित होता है (ऊपर पृ० १५४ टिप्पणी २ देखिए)।- वास्तव में क्लिष्ट स्मृति ही मुषितस्मृतिता है। क्लिष्ट समाधि ही विक्षेप (४.५८) है। क्लिष्ट प्रज्ञा ही असंप्रजन्य है। क्लिष्ट मनस्कार ही अयोनिशोमनस्कार है । क्लिष्ट अधिमोक्ष ही मिथ्याधिमोक्ष है। इसी लिये मूल अभिधर्म महाभूमिकों को क्लिष्ट में पठित कर दस क्लेशमहाभूमिक परिगणित करता है। क्या महाभूमिक क्लेशमहाभूमिक भी है ? [१६३] चार कोटि है:--१. वेदना, संज्ञा, चेतना, स्पर्श और छन्द केवल महाभूमिक हैं; २. अश्रा- द्वय, कौसीद्य, अविद्या, औद्धत्य और प्रमाद केवल क्लेशमहाभूमिक हैं; ३. स्मृति, समाधि, प्रज्ञा, ऊपर पृ० १५१ देखिए। १ कोऽयं देवानांप्रियो नाम । ऋजुकजातीयो देवानांप्रिय इत्येके व्याचक्षते । अशठो हि देवानांप्रियो भवति । मूर्यो देवानांप्रिय इत्यपरे । यो हि ईश्वराणामिष्टः स न ताडनेन शिक्षत इति मूर्यो भवति [व्या० १३०.२७] ।---जापानी संपादक अनेक अर्थ देते हैं। २ पाप्रामाण्यमानेण दश क्लेशमहाभूमिकाः प्राप्ता इत्येतामेव प्राप्ति जानीते[व्या० १३०.२५]। वसुबन्धु, २.४,५६ (वैयाकरण और सारथि को कथा)पर महाभाष्य का वाक्य उद्धृत करते एस० लेवी, जे० ए० एस० १८९१, २.५४९ (नोट्स आन इण्डियन क्रानालाजी देवानांप्रिय, अशोक एण्ट कात्यायन)-कर्न, मैनुएल ११३के अनुसार 'मूर्ख' अर्थ 'अशठ देवपूजक' से निकला है : बहुत समानता नहीं मालूम पड़ती। बुलेटिन दे ले एकडेमो दे असेल्स १९२३ में मेरी टिप्पणी देखिये ।