पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/१६३

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द्वितीय कोशस्थान : चित्त-विप्रयुक्त १४९ ३९ वी. कामधातु के रूप की प्राप्ति इस रूप से अग्रज नहीं है । २ इस कुशल-अकुशल रूप, यथा प्रातिमोक्षसंवर (४. १९ आदि.), की अग्रजा प्राप्ति सर्वथा नहीं होती, प्राप्ति सहजा, पश्चात् कालजा होती है, पूर्वजा नहीं। क्या प्राप्ति के समान अप्राप्ति कुशल, अकुशल, अव्याकृत हो सकती है ? ३९ सी. अप्राप्ति अनिवृताव्याकृत है। 3 सर्व अप्राप्ति अनिवृताव्याकृत ही होती है (२.६६)। ३९ डी. अतीत, अजात धर्मों की अप्राप्ति त्रिविध है। ४ [१९१] अतीत, अनागत धर्मों की अप्राप्ति त्रयध्विको अर्थात् अतीत, अनागत, प्रत्युत्पन्न हो सकती है । किन्तु प्रत्युत्पन्न धर्मों की प्राप्ति अवश्य होती है। अतः प्रत्युत्पन्न धर्मो की अप्राप्ति केवल अतीत, अनागत हो सकती है। कामाद्याप्ताऽमलानां च मार्गस्थाप्राप्तिरिष्यते । पृथग्जनत्वं तत्प्राप्तिभूसंचाराद् विहीयते ॥४०॥ ४० ए. कामादि धातुओं में आप्तधर्मो की अप्राप्ति और ममल धर्मो की अप्राप्ति विविध कामधातु में उपपन्न सत्व की काम-रूपारूप्यावचर धर्मों की अप्राप्ति कामावचरी है; रूपधातु में उपपन्न सत्व की अप्राप्ति रूपावचरी है; आरूप्यधातु में उपपन्न सत्व की अप्राप्ति आरूप्यावचरी है । इसी प्रकार अनास्रव धर्मों की अप्राप्ति की योजना होनी चाहिये। वास्तव में अप्राप्ति कभी अनास्रव नहीं होती। क्यों? ४० वी-सी. निकाय के अनुसार पृथग्जन वह है जिसने मार्ग का लाभ नहीं किया है । १. जैसा मूलशास्त्र (ज्ञानप्रस्थान, २, २१, विभाषा, ४५, ५) में कहा है : “पृथग्जनत्व क्या है ?--आर्य धर्मों का अलाभ (आर्यधर्माणामलाभः)" । किन्तु पृथग्जनत्व अनास्लव नहीं है; अतः अप्राप्ति ( =अलाभ) अनास्रव नहीं है । २ कामे रूपस्य नाग्रजा। [व्या० १५२.२७ 'कामे रूपस्य के स्थान में 'कामरूपस्य पाठ है। 3 अक्लिष्टाच्याकृताऽप्राप्तिः क्लेशों की अप्राप्ति क्लिष्ट नहीं है क्योंकि इस विकल्प में क्लेशविनिर्मुक्त पुद्गल में इसका अभाव होगा : यह कुशल नहीं है क्योंकि कुशलमूलसमुच्छिन्न पुद्गल में इसका अभाव होगा। (विभाषा, १५७, ११) १ [सातीता जातयोस्] त्रिधा ।। कामाद्याप्तामलानां च [व्या० १५३.१४] २ [अलब्धमार्गः पृथग्जनः । इष्यते)--- यदि अप्राप्ति अनात्रव हो सकती तो यह अनास्लव धर्मों को अप्राप्ति होती किन्तु पृथग्जन के लक्षण से सिद्ध होता है कि अनानव धर्मों की अप्राप्ति अनास्लव नहीं होती। पृथग्जन पर १.४०,४१ ए, २.९ बी-डी, ३.४१ सी-डी, ९५ ए, ६.२६ ए,२८ डी, ४५ वी.। ५ . 1