पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/२५८

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द्वितीय कोशस्थान : प्रत्यय २४५ ११ के अनन्तर : (१-७) अभिनाफल से अन्यत्र स्वधातु के सात; (८-९) मापनर प्रायोगिक और अनिवृताव्याकृत ; (१०-११) गक्ष और अशैक्ष । ३-४. अकुशल और निवृतान्यात के अनन्तर सात स्वधातु , अभिजाफल को जित कर । १४ के अनन्तर : (१-७) अभिशाफल को वर्जित कर स्वधातु नो मात ; (८-११) प्रापो. गिक और अभिशाफल को चर्जित कर स्पधातु के चार; (१२-१४) प्रायोगिक को पति गार बारूप्यधातु के तीन । ५-६. विपापाज और ऐपिथिक के अनन्तर ८ : (१-६) प्रायोगिया और अभिशाफल से अन्यत्र स्वधातु मे ६; (७-८) स्पास्प्यावचर अनिवृताव्यामृत । अभिज्ञाफल से अन्यत्र स्वधातु के, सात के अनन्तर । ७. शल्पस्थानिक फै अनन्तर ६, स्वधातु के, प्रायोगिक और अभिजाफल को जित फार । अभिशाफल से अन्यम स्वयातु को, सात के अनन्तर; ८. अभिज्ञाफल के अनन्तर दो-स्वधातु का अभिशाफल और रूपावर प्रायोगिनः । पूर्ववत् दो के अमन्तर । (२) रूपयातु : पावभर ६ प्रकार के नित भात् दो फुगल, एक गिलाट (नियताया- गृत), ३ अनिवृताव्यात । १. प्रायोगिक कुशल के अनन्तर १२ : (१-६) स्वधातु के ६ (७-९) कामयातुनी तीन-प्रायोगिा गुगल,. उपपतिलानित गुगल, अभिशाफल (१०) आप्यायगर प्रायोगिक; (११-१२) संक्ष और अमांस । १० पे अनन्तरः (२.४) ऐपरिचित नौर विपाल को पनि मार लपातु मे नार; [३२३] (५-६) कामगानु के दो-मायोगित और अभिशाफल (3-८) वाया मे दो-त्रायोगिए लोर निवृतायात; (२-१०) र और अगंश । २ मागिलाभिगः गुगल फे जगन्तर ८: (१.५) पानिमारको यहि कार बाट ५ (-1) काम से दो-अगल और निसानामा (८) भालानु ता निमायाएन । अभिमापन नमसा बगानु बननर । राषचर सन्तरामय का प्रपन पित।