पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/२५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२४६ अभिधर्मकोश ३. निवृताव्याकृत के अनन्तर ९ : (१-५) अभिज्ञाफल से अन्यत्र स्वधातु के पाँच; (६-९) कामधातु के चार-२ कुशल, २ क्लिष्ट । ११ के अनन्तर : (१-५) अभिज्ञाफल से अन्यत्र स्वधातु के ५; (६-८) कामधातु तीन-उपपत्तिलामिका, ऐपिथिक, विपाकज; (९-११) प्रायोगिक को वर्जित कर आरूप्य- धातु के तीन । ४-५. विपाकज और ऐपिथिक के अनन्तर सात : (१-४) प्रायोगिक और अभिज्ञाफल को वर्जित कर स्वधातु के चार; (५-६) कामधातु के दो-अकुशल और निवृताव्याकृत; (७) आरूप्यधातु का एक--- निवृताव्याकृत। अभिज्ञाफल को वजित कर स्वधातु के, पाँच के अनन्तर । ६. अभिज्ञाफल के अनन्तर स्वधातु के दो-प्रायोगिक और अभिज्ञाफल । पूर्ववत् दो के अनन्तर। ३. आरूप्यधातु : आरूप्यावचर चार प्रकार का चित्त अर्थात् दो कुशल, निवृताव्याकृत, विपाकज । १. प्रायोगिक कुशल के अनन्तर सात : (१-४) स्वधातु के चार; (५) रूपधातु का प्रायोगिक; (६-७) शैक्ष और अशैक्ष । ६ के अनन्तर : (१-३) विपाकज से अन्यत्र स्वधातु के तीन; (४) रूपावचर प्रायो- गिक ; (५-६) शैक्ष और अशैक्ष । २. उपपत्तिलाभिक कुशल के अनन्तर सात : (१-४) स्वधातु के चार ; (५) रूपावचर निवृतान्याकृत; (६-७) कामावचर अकुशल और निवृतोव्याकृत । ६३२४] स्वधातु के चार के अनन्तर । ३. निवृताव्याकृत के अनन्तर ८ : (१-४) स्वधातु के चार; (५-६) रूपावचर प्रायोगिक और निवृ- ताच्याकृत; (७-८) कामावचर अकुंशल और निवृताव्याकृत । इन १० के अनन्तर : (१-४) स्वधातु के चार; (५-१०) रूपकामावचर उपपत्ति- लाभिक, ऐयपिथिक, विपाकज । ४. विपाकज