पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/३

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प्रकाशकीय अनेक वर्षों के व्यवधान के पश्चात् स्वर्गीय आचार्य नरेन्द्र देव जी द्वारा अनूदित एवं संपादित आचार्य वसुबन्धु कृत "अभिधर्मकोश" का प्रकाशन संभव हो सका है । कोश का प्रकाशन आचार्य जी की ही देखरेख में प्रारंभ हुआ था, यहां तक कि वे स्वयं ही उसका प्रूफ भी देखते थे। रुग्ण शरीर रखते हुए भी उनकी कर्मशीलता असाधारण थी । किन्तु दैववश जिस मनोयोग से उस मनीषी ने कोश का संपादन किया था उसका प्रकाशित रूप वे न देख सके । आचार्य जी व्यक्ति नहीं संस्था थे। भारतीय राजनीति, भारतीय शिक्षा एवं भारतीय दर्शन शास्त्र के वे निष्णात् पंडित थे। उन्हीं की अंतिम इच्छानुसार डा. वासुदेव शरण अग्रवाल जी द्वारा कोश की भूमिका तैयार कराई गई है। यदि वे आज जीवित होते तो संभव था कि प्रस्तुत कोश का रूप कुछ अधिक गौरवशाली होता। हमारा विश्वास है कि इस महत्वपूर्ण ग्रंथ का विद्वानों के बीच उचित समादर होगा। प्रस्तुत भाग में तीन कोशस्थान है। शेष पांच कोशस्थानों के प्रकाशन के लिए एकेडेमी यत्नशील है। हिंदुस्तानी एकेडेमी धीरेन्द्र वर्मा उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद मंत्री तथा कोषाध्यक्ष