पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/३९४

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अभिधर्मकोश पंचवर्षोपमो यावद्दशवर्षापमः शिशुः । सम्भवत्येषु, सम्पूर्णाः सवस्त्राश्चैव रूपिणः ॥७०।। ७० सी-डी. इन देवों में नवजात शिशु पाँच वर्ष से दस वर्ष के बालक या वालिका के सदृश होता है। ५ से १० वर्ष तक, देवों के प्रकार के अनुसार। देवों के वालक तेजी से बढ़ते हैं। ७० सी-डी. रूपधातु के देव सम्पूर्ण और सवस्त्र होते हैं।' रूपधातु के देवों की पूर्ण वृद्धि जन्म से ही होती है। वह सवस्त्र उपपन्न होते हैं। सब देव आर्य भाषा में बोलते हैं।' [१६६] कामधातु में, कामोपपत्तयस्तित्रः कामदेवाः समानुषाः । सुखोपपतयस्तिस्त्रो नवबिध्यान भूमयः ॥७॥ ७१ ए-बी. तीन उपपत्ति या कामोपपत्ति: काम के देव मनुष्यों के सहित।' १. ऐसे सत्व हैं जिनके परिभोग के लिए काम गुण विद्यमान होते हैं। वह इन कामगुणो का परिभोग करते हैं। यह मनुष्य और कतिपय देव है अर्थात् पहले चार देव-निकाय । २. ऐसे सत्व हैं जिनके कामगुण आत्मनिर्मित होते हैं। यह इन आत्मनिर्मित कामगुणों का परिभोग करते हैं। यह निर्माण रति हैं। ३. ऐसे सत्व हैं जिनके कामगुण परनिर्मित होते हैं और जो इन परनिर्मित कामगुणों का परिभोग करते हैं। यह परनिमितवशवर्ती है।' पहले उन कामगुणों का परिभोग करते हैं जो उनके सम्मुख होते हैं। दूसरे अपनी इच्छा से निर्मित कामगुणों का परिभोग करते हैं। तीसरे आत्मनिर्मित या यथेच्छया परनिर्मित कामगुणों का परिभोग करते हैं। यह तीन कामोपपत्ति । ४ १ ५ पञ्चवर्षोपमो यावद् दशवर्षोपमः शिशुः । संभवत्येषु सम्पूर्णाः सवस्त्राश्चव रूपिणः ।। ऊपर पृष्ठ ४५ देखिये। शुआन-चाङ में यह अधिक है : अर्थात् वह मध्यदेश ('मध्य-इन-दु') की भाषा में बोलते है,-बील, कैटीमा ९१. कामोपपत्तयस्तितः कामदेवाः समानुषाः। संगीति पर्याय, ५,८, विभाषा, १७३, ४, दोध, ३. २१८) इति बुत्तक, ९४ रोज डेविडस का अनुवाद: "दूसरे के वशवर्ती"। वीध, १. २१६ में एक संतुषित देव है जो तुषितों के राजा है, एक सुनिमित हैं जो निम्मान- रतियों के राजा हैं, एक वसवत्ति हैं जो परनिम्मितवसवत्तियों के राजा हैं। ऊपर महाब्रह्मा हैं जो ब्रह्मकायिकों के राजा हैं। सुमंगलविलासिनी, १. १२१, मान्धाता मनुष्यों के कामगुणों से समन्वागत हैं; परनिर्मित- देवों के कामगुणों से। दो पाठ हैं: यथेच्छात्मपरनिर्मित परिभोगित्वात् और यथेच्छपरनिमितपरिभौगित्वात् ।