पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/५८

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प्रथम कोशस्थानः धातुनिर्देश छिद्र 'अघ' है क्योंकि अन्य रूप का वहां प्रतिघात नहीं होता। यह अन्य रूप का सामन्तक भी है। अतः यह अध और सामन्तक है। २८ सी-डी. विज्ञानधातु सास्रव विज्ञान है क्योंकि यह जन्म-निश्रय है 13 सास्रव विज्ञान अर्थात् वह चित्त जो मार्ग में संग्रहीत नहीं है। सूत्र में (पृ. ४९, नोट २)छः धातु जन्म के निश्रय, जन्म के आधारभूत, अर्थात् प्रतिसन्धि-चित्त से लेकर यावत् भरण-चित्त सर्व भव के आधारभूत बताये गये हैं । [५१] अनानव धर्म जन्म, भव के प्रतिपक्ष हैं । अतः ५ विज्ञानकाय जो सदा सास्रव हैं और मनोविज्ञान जब वह सास्रव होता है, विज्ञानधातु हैं (विभाषा, ७५, ११)। इन षड् धातुओं में से पहले चार स्प्रष्टव्यधातु में संगृहीत हैं, पाँचवाँ रूपधातु में और छठा १.१६ सी में परिगणित सप्त धातुओं में संगृहीत है। सनिदर्शन एकोऽत्र रूपं सप्रतिघा दश । रूपिणोऽव्याकृता अष्टौ त एवारूपशब्दकाः ॥२९॥ १८ धातुओं में कितने सनिदर्शन है ? २९ ए-बी. केवल एक रूपधातु सनिदर्शन है।' हम उसका देश निर्दिष्ट कर सकते हैं : यहाँ है, वहाँ है । शेष धातु अनिदर्शन है। कितने धातु सप्रतिष है. ? कितने अप्रतिध है ? २९ बी-सी. दस धातु जो रूपी ही हैं, सप्रतिघ हैं । २ दस धातु जो रूपस्कन्ध में संग्रहीत हैं सप्रतिघ है। १. प्रतिघात या अभिघात ३ प्रकार का है : आवरणप्रतिघात, विषयप्रतिघात, आलम्बन- प्रतिघात (विभाषा, ७६, ३) । ए. आवरण-प्रतिघात—यह काय का वह गुण है जो स्वदेश में परवस्तु की उत्पत्ति में प्रति- बन्ध है, सप्रतिघत्व । जव हाथ, हाथ या उपल को प्रतिधात करता है, जब उपल हाथ या उपल को प्रतिघात करता है तो यह अभ्याहत, प्रतिहत होता है (प्रतिहन्यते) । [५२] बी. विषय-प्रतिघात-विषय से विषयो का आधात । प्रज्ञप्ति के अनुसार “एक चक्षु है, एक चक्षुरिन्द्रिय है जो जल से प्रतिहत, अभ्याहत होता है, शुष्क वस्तु से नहीं, अर्थात् मत्स्य का चक्षु 1 एक चक्षु है जो शुष्क वस्तु से प्रतिहत होता है, जल से नहीं, अर्थात् (कैवर्तो को छोड़कर) प्रायः मनुष्यों का चक्षु । एक चक्षु ३ [विज्ञानधातुविज्ञानं सास्रव] जन्मनिश्रयः। [व्याख्या ५७.२५] १ सनिदर्शन एकोऽत्र रूपम् व्याख्या ५८.४] २ सप्रतिधा दश । रूपिणः--ऊपर पृष्ठ २४ और आगे देखिए। 3 धर्मधातु का निरास है : इसमें अविज्ञप्ति-रूप जो अप्रतिष है उसका सद्भाव है। १ कारणप्रज्ञप्तिशास्त्र का विवरण बुद्धिस्ट कास्मालांजी पृ० ३३९ में देखिए ।