पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/३५१

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१-अमर अभिलाषा (लेखक-श्री० चतुरसेन शास्त्री) शास्त्रीनो की सब से ताजी और सब से अपूर्व रचना । हिन्दू- समान के विधवा-तत्व का पाण्डित्य-पूर्ण निदर्शन । समान के गे सियारों का भण्डा-फोड ! सज्जन और उदार-चित्त नवयुवक का मादर्श चरित्र । दुःख, शोक, लज्जा, अनुताप तथा हर्ष, उत्कर्ष, सदाचार और न्याग के जीते-जागते चित्र । यह पुस्तक सर्व-साधा- रण में इतनी पसन्द की गई है, कि छपने के पूर्व इसके प्रायः पाँच-सौ ऑर्डर और एक हजार से ऊपर निनासा-पत्र प्रागये थे। स्त्रियों के लिए यह अपूर्व वस्तु है। मोटे एण्टिक पेपर पर सुन्दर छपे हुए साढ़े तीन-सौ पृष्ट । मनोहर कवर, छः कलापूर्ण चित्र, पक्की निल्द, और मूल्य केवल ३) रुपया । २--विश्व-विहार (सम्पादक-ठा० राजबहादुरसिंह) भान दिन संसार की प्रत्येक उन्नत भाषा में अपरिमित बालकोपयोगी साहित्य प्रकाशित होरहा है। परन्तु हिन्दुस्तान की राष्ट्र-भाषा में आन तक केवल दो-चार छोटी-छोटी पुस्तिका प्रकाशित हुई हैं। भान हमारे बच्चे स्कूल की निरर्थक कुत्ते- विल्ली की कहानियाँ पढ़कर अपना जीवन वर्वाद कर रहे हैं, उन्हें दिमागी खूराक देनेवाला साहित्य हिन्दी भाषा में देखने को नहीं