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क (१) प्रसिद्ध राजाओं के संक्षिप्त इतिहास

मनु

महाकवि कालिदास ने लिखा है:—

वैवखतो मनुर्नाम माननीयो मनीषिणाम्।
श्रासीन्महीभृतामाद्यः प्रणवश्च्छन्दसामिव॥

रघुवंश सर्ग १॥


"रह्यो आदिनृप बिबुधजन माननीय मनुनाम।
वेदन महँ ओंकार सम दिनकरसुत गुनधाम॥

रघुवंश भाषा स॰ १॥

इन्हीं ने कोसल देश बसाया और अयोध्या को उसकी राजधानी बनाया। मत्स्यपुराण में लिखा है कि अपना राज अपने बेटे को सौंप कर मनु मलयपर्वत पर तपस्या करने चले गये। यहाँ हजारों वर्ष तक तपस्या करने पर ब्रह्मा उनसे प्रसन्न होकर बोले "बर मांग"। राजा उनको प्रणाम करके बोले, "मुझे एक ही बर मांगना है। प्रलयकाल[१]में मुझे जड़चेतन सब की रक्षा की शक्ति मिले"। इसपर 'एवमस्तु' कहकर ब्रह्मा अन्तर्धान हो गये और देवताओं ने फूल बरसाये।

इसके अनन्तर मनु फिर अपनी राजधानी को लौट आये। एक दिन पितृतर्पण करते हुये उनके हाथ से पानी के साथ एक नन्ही सी मछली गिर पड़ी। दयालु राजा ने उसे उठाकर घड़े में डाल दिया। परन्तु दिन रात में वह नन्ही सी मछली इतनी बड़ी हो गयी कि घड़े में न समायी। मनु ने उसे निकाल कर बड़े मटके में रख दिया परन्तु रात ही भर में


  1. प्रलय की कथा हिन्दू, मुसल्मान, ईसाई सब के धर्मग्रन्थों में है। हमने इसे इस कारण यहाँ लिखा है कि श्री अवध की झांकी में वह स्थान बताया जायगा जहाँ मनु ने मस्य भगवान् के दर्शन पाये थे।