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प्रसिद्ध राजाओं के संक्षिप्त इतिहास

मछली तीन हाथ की हो गयी और मनु से कहने लगी आप हमपर दया कीजिये और हमें बचाइये। तब मनु ने उसे मटके में से निकाल कर कुयें में डाल दिया। थोड़ी देर में कुआं भी छोटा पड़ गया तब वह मछली एक बड़े तलाब में पहुँचा दी गयी। यहाँ वह योजन भर लम्बी हो गई तब मनु ने उसे गंगा[१] में डाला। वहाँ भी बढ़ी तो महासागर भेजी गयी, फिर भी उसकी बाढ़ न रुकी तब तो मनु बहुत घबराये और कहने लगे "क्या तुम असुरों के राजा हो? या साक्षात् बासुदेव हो जो बढ़ते बढ़ते सौ योजन के हो गये। हम तुम्हें पहचान गये, तुम केशव हृषीकेश जगन्नाथ और जगद्धाम हो।"

भगवान् बोले "तुमने हमें पहचान लिया। थोड़े ही दिनों में प्रलय होने वाली है जिसमें बन और पहाड़ सब डूब जायेंगे। सृष्टि को बचाने के लिये देवताओं ने यह नाव बनायी है। इसीमें स्वेदज, अण्डज, उद्भिज और जरायुज रक्खे जायँगे। तुम इस नाव को ले लो और आनेवाली विपत्ति से सृष्टि को बचाओ। जब तुम देखना कि नाव बही जाती है तो इसे हमारे सींग में बाँध देना। दुखियों को इस संकट से बचाकर तुम बड़ा उपकार करोगे। तुम कृतयुग में एक मन्वन्तर राज करोगे और देवता तुम्हारी पूजा करेंगे।"

मनु ने पूछा कि प्रलय कब होगी और आप के फिर कब दर्शन होंगे। मत्स्य भगवान् ने उत्तर दिया कि "सौ वर्ष तक अनावृष्टि होगी, फिर काल पड़ेगा और सूर्य की किरणें ऐसी प्रचंड होंगी कि सारे जीव जन्तु भस्म हो जायेंगे . . . फिर पानी बरसेगा और सब जलथल हो जायगा। उस समय हम सींगधारी मत्स्य के रूप में प्रकट होंगे। तुम इस नाव में सब को भर कर इस रस्सी से हमारे सींग में बाँध


  1. यह गंगा रामगंगा (सरयू) है क्योंकि गंगा राजा भगीरथ की लाई हुई हैं और भगीरथ मनु से चौवालीसवीं पीढ़ी में थे।