स्थिति को संदेह के आवर्त में डाल रहा है। दूसरी सृष्टि भी वैवस्वत मनु ही से चली।
जब यह सिद्ध है कि वैवस्वत मनु कम से कम इस देश के पहिले राजा थे तो अब यह प्रश्न उठता है कि यह देश भरतखंड या भारत[१] वर्ष क्यों कहलाता है?
मनु के कई सन्तान मानी जाती हैं परन्तु मुख्य दो ही हैं। एक इक्ष्वाकु पुत्र, दूसरी इला पुत्री। इक्ष्वाकु से सूर्यवंश चला जिसने उत्तर भारत पर अपना अधिकार जमाया। इक्ष्वाकु का एक बेटा अयोध्या में रहा, दूसरा कपिलवस्तु का राजा हुआ, तीसरे ने विशाला में राज स्थापित किया और चौथा निमि मिथिलाधिपति बना। चन्द्र के पुत्र बुध के संयोग से इला के पुरूरवस पुत्र हुआ जिसने आजकल के इलाहाबाद के सामने गंगा के उत्तर-तट पर प्रतिष्ठानपूर को अपनी राजधानी बनाया।
सूर्यवंश में इक्ष्वाकु के बाद तिरसठवीं पीढ़ी में महाराज दशरथ हुये। इनके चार बेटों में से एक का नाम भरत था। भरत को अपने नाना से केकय देश मिला था परन्तु वे कभी भारत के सम्राट न थे। इससे भरतखंड के भरत नहीं हो सकते।
चन्द्रवंश में अवश्य भरत नाम का एक प्रतापी राजा हुआ है परन्तु यह पुरूरवस के बहुत पीछे हुआ। यह भरत दुष्यन्त का बेटा था और इसकी माँ राजर्षि विश्वामित्र की बेटी शकुन्तला थी। महाभारत में लिखा है :—
भरताद् भारतीकीर्तिर्ये नेदं भारतं कुलम्।
अपरे ये च वै पूर्वे भरता इति विश्रुताः॥
भरतस्यान्वये तेहिं देवकल्पा महौजसः।
- ↑ श्रीमद्भागवत में इस देश का नाम अजनाभवर्ष है।