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प्रसिद्ध राजाओं के संक्षिप्त इतिहास

उसने यमुना के तट पर सौमिक और साहदेवी यज्ञ किये और कुरुक्षेत्र में भी यज्ञ किया। उसने अनावृष्टि के समय पानी भी बरसाया था।

इस राजा के विषय में विष्णुपुराण में एक बड़ी रोचक कथा लिखी है। जिसका सारांश यह है :–

मान्धाता की रानी बिन्दुमती चैत्ररथी यदुवंशी राजा शशविन्दु[१] की बेटी थी। उससे पुरुकुत्स, अंबरीष और मचुकुन्द नाम तीन बेटे और पचास बेटियाँ हुईं। इन्हीं दिनों सौभिरि नाम ऋषि बारह बरस जलवास करके सिद्ध हो गये थे। उसी जल में संमद नाम एक बड़ा मगरमच्छ रहता था। उसके बहुत से कच्च बच्च, नाती, पोते उसके चारों ओर खेला करते थे और वह बहुत प्रसन्न रहा करता था। सौभिरिजी समाधि छोड़ कर नित्य उसका यह सुख देखकर सोचने लगे यह मगरमच्छ धन्य है, ऐसी योनि में जन्म लेकर भी यह हमारे मन में बड़ी स्पृहा उत्पन्न करता है। हम भी इसी की तरह बेटे पोतों के साथ खेलैंगे। ऐसा विचार करके सौभिरि जी कन्या मांगने मान्धाता के पास पहुँचे। राजा ने उनका यथोचित सत्कार किया। तब सौभिरि ने उनसे कहा कि "हम अपना विवाह करना चाहते हैं। आप हमें अपनी एक बेटी दीजिये। हमारी बात न टालिये। संसार में अनेक राजकुलों में अनेक लड़कियाँ हैं। आपका कुल सबसे बढ़कर है।" सौभिरि की बातें सुन राजा बड़ी चिन्ता में पड़ गया। एक ओर तो मुनि का पानी में पड़ा हुआ सड़ा गला बुड्‌ढ़ा शरीर और दूसरी ओर उनके शाप का डर। राजा की यह दशा देख कर मुनि बोले "आप क्यों खिन्न हैं? हमने कोई ऐसी बात नहीं कही जो करने की नहीं है। आप अपनी बेटियाँ किसी न किसी को तो देहींगे। एक मुझे दे दीजिये मैं कृतार्थ हो जाऊँगा।" राजा ने हाथ जोड़ कर कहा कि "कन्या अच्छे कुल के जिस वर को चाहे उसी को दे दी जाती है। यह बात कभी हमारे ध्यान में आई नहीं थी कि आप ऐसी प्रार्थना करेंगे।


  1. शशविन्दु का वंश उपसंहार में लिखा है।