उसमें अरुप जिसे अनूप भी कहते हैं मिला लिया । हर्यश्व का बेटा यदु था; उसकी तीसरी पीढ़ी में भीम हुआ । भीम के समय में श्रीरामचन्द्र ने लवण को वध करके उसके दुर्ग मधुवन के सर करने को शत्रुघ्न को भेजा था। शत्रुघ्न ने यमुना के तट पर मथुरा नगरी बसाई । परन्तु शत्रुघ्न के चले जाने पर भीम ने उसे अपने राज्य में मिला लिया जो उसकी संतान में वसुदेव तक के पास रहा । यह हर्यश्व कौन था, हमारी वंशावली में हर्यश्व दो हैं एक, १५ हर्यश्व १, और दूसरा २७ हर्यश्व २, दोनों श्रीरामचन्द्र जी से कई पीढ़ी ऊपर हैं। हरिवंश की बात मानी जाय तो हर्यश्व से चौथी पीढ़ी उतर कर भीम श्रीरामचन्द्र का समकालीन ठहरता है। हरिवंश का हर्यश्व वंशावली का हर्यश्व २ माना जाय तो मधु की बेटी की पाँचवीं पीढ़ी और उसका बेटा लवण हर्यश्व २ से उतर कर सैंतीसवीं पीढ़ी में श्रीरामचन्द्र के समकालीन होता है। इससे जान पड़ता है कि हरिवंश का हर्यश्व दिलीप का भाई था जिसने नाम मात्र को राज किया और मधु के साथ संबंध करने के कारण अयोध्या से निकाल दिया गया। [१]
हर्यश्वश्च महातेजा दिव्ये गिरि वरोत्तमे।
निवेशयामासपुरं वासार्थममरोपमः॥
श्रावत नाम तद्राष्टं सुराष्ट्र गोधनायुतम्।
अचिरेणैव कालेन समृद्ध म्प्रत्यपथत॥
अनूपविषय श्चैव वेलावनविभूषितम्।
(हरिवंश अध्याय १४)।
६१ रघु—यह बड़ा प्रतापी राजा था और दिग्विजय कर के जिसका वर्णन रघुवंश के चौथे सर्ग में है, सह्य, वंग, कलिंग, पांड्य, केरल, अप- रान्तक, पारसीहूण कम्बोज, उत्सव संकेत और प्रागज्योतिष देशजीते। पारसीक ईरानवासी थे इससे विदित है कि रघु ने भारत के बाहर के भी देश जीत लिये थे। रघु के दिग्विजय की व्याख्या उपसंहार (क) में दी हुई है।
- ↑ Growe's Mathura District Memoir, page 287.