६२ अज—इनका विवाह विदर्भकुल की राजकुमारी इन्दुमती के साथ हुआ था। जब ये अयोध्या से विदर्भ को जा रहे थे तो रास्ते में इन्हें एक गन्धर्व से जुभ्मकास्त्र मिला। यह एक विचित्र हथियार था जिसके चलाने से बैरी की सेना बेसुध हो जाती थी और बिना वध किये ही बैरी जीत लिया जाता था। भारतवर्ष में जीव नष्ट करने के सामग्री की कमी नहीं है, परन्तु बिना जीव मारे कार्य सिद्ध हो जाना भी एक लाभ समझा जाता है। ऐसा ही एक अस्त्र श्रीरामचन्द्र को विश्वामित्र ने दिया था।
६३ दशरथ—यह भी बड़े प्रतापी राजा थे। इनके तीन रानियाँ थीं। एक कौशल्या जो सम्भवतः दक्षिण कोशल की राजकुमारी थीं, दूसरी मगध की राजकुमारी सुमित्रा और तीसरी केकय देश की कैकेयी। कैकेयी के विवाह की कथा कुछ रोचक है इससे यहाँ लिखी जाती है।
"इसी समय केकय देश के राजा अश्वपति परिवार समेत कुरुक्षेत्र की यात्रा को आये थे। वहीं महाराज दशरथ ने उनकी परम सुन्दरी कन्या देखी और उनसे यह प्रस्ताव किया कि इसका विवाह हमारे साथ कर दो। कन्या का नाम पुस्तकों में दिया हुआ नहीं है, परन्तु केकय राजवंश की होने से वह संसार में कैकेयी नाम से प्रसिद्ध हुयी। यद्यपि उस राजवंश की और राजकुमारियाँ भी सूर्यवंशी राजाओं को व्याही जा चुकी थीं। कैकेयी और अश्वपति दोनों ने उत्तर दिया कि विवाह इस शर्त पर हो सकता है कि इस संबंध से जो लड़का हो वही राज्य का उत्तराधिकारी हो। महाराज दशरथ ने यह शर्त स्वीकार कर ली और विवाह हो गया। यह शर्त नयी न थी । महाभारत में लिखा है कि जब राजा शान्तनु ने सत्यवती के साथ विवाह करना चाहा तो सत्यवती और उसके पिता दासराज ने भी ऐसी ही शर्त की थी और उसी के आग्रह से शान्तनु के बेटे देवव्रत ने जो पीछे से भी भीष्म कहलाये राज्य